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Adani Hindenburg Case Updates : सुप्रीम कोर्ट ने 3 महीने में जांच पूरी करने का निर्देश दिया. - SabkaSamachar

Adani Hindenburg Case Updates : सुप्रीम कोर्ट ने 3 महीने में जांच पूरी करने का निर्देश दिया.

Adani Hindenburg Case :अदानीहिंडनबर्ग विवाद ; सुप्रीम कोर्ट ने सेबी को शेष दो मामलों में 3 महीने में जांच पूरी करने का निर्देश दिया:

Adani Hindenburg Case: भारतीय कॉरपोरेट जगत में हड़कंप मचाने वाले अदानी-हिंडनबर्ग मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. बुधवार को, 3 जनवरी 2024 को, कोर्ट ने भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) को अडानी समूह के खिलाफ लगाए गए आरोपों से संबंधित शेष दो मामलों में जांच को तीन महीने के भीतर पूरा करने का निर्देश दिया.

यह मामला 2023 की शुरुआत में सामने आया था, जब अमेरिकी शॉर्ट-सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी समूह पर स्टॉक हेरफेर, लेखा धोखाधड़ी और कॉरपोरेट गवर्नेंस के उल्लंघन के आरोप लगाए थे. इन आरोपों ने भारतीय बाजार में बड़े पैमाने पर अस्थिरता पैदा कर दी और अडानी समूह के शेयरों में भारी गिरावट दर्ज की गई थी.

हिंडनबर्ग के आरोपों के बाद, सरकार और नियामक निकायों ने इस मामले की गंभीरता को समझते हुए जांच शुरू कर दी. सेबी ने अडानी समूह के खिलाफ कुल 24 मामलों में जांच शुरू की थी, जिनमें से 22 मामलों की जांच पहले ही पूरी हो चुकी है.

Adani Hindenburg Case
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बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने बाकी बचे दो मामलों में जांच को तेज करने का निर्देश दिया. हालांकि, कोर्ट ने यह भी कहा कि वह सेबी की जांच की शक्ति पर हस्तक्षेप करने की इच्छुक नहीं है. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि सेबी के पास जांच की पर्याप्त शक्तियां हैं और उसे उसी के अनुसार काम करने दिया जाना चाहिए.

कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की उस मांग को भी खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने जांच को एक विशेष जांच टीम (SIT) को स्थानांतरित करने की मांग की थी. कोर्ट ने कहा कि वर्तमान में कोई ऐसा आधार नहीं है जो बताता हो कि सेबी द्वारा की जा रही जांच निष्पक्ष या प्रभावी नहीं है.

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को अडानी समूह और सरकारी नियामक निकायों के लिए राहत की खबर माना जा सकता है. हालांकि, यह फैसला हिंडनबर्ग रिसर्च के लिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह दर्शाता है कि कोर्ट उनके आरोपों को गंभीरता से ले रहा है और निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है.

फैसले के निहितार्थ:

  • जांच में तेजी: सुप्रीम कोर्ट के निर्देश से सेबी को शेष दो मामलों में जांच को तेज करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा. इससे जल्द से जल्द मामले का समाधान होने की संभावना बढ़ जाएगी.
  • निवेशकों का विश्वास: निष्पक्ष और समयबद्ध जांच से निवेशकों का विश्वास बहाल करने में मदद मिलेगी. भारतीय बाजार में स्थिरता लाने के लिए यह आवश्यक है.
  • कॉरपोरेट गवर्नेंस: इस मामले से भारतीय कॉरपोरेट गवर्नेंस प्रणाली पर भी सवाल उठे हैं. सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला इस प्रणाली को मजबूत बनाने और भविष्य में ऐसे मामलों की रोकथाम के लिए दिशा निर्देश दे सकता है.
Adani Hindenburg Case
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अडानी-हिंडनबर्ग मामले का फैसलाः घटनाओं की समयरेखा :

24 जनवरीः हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी समूह की कंपनियों पर एक रिपोर्ट जारी की जिसमें आरोप लगाया गया कि वे “एक बेशर्म स्टॉक हेरफेर और लेखांकन धोखाधड़ी में शामिल थी।” यह अडानी समूह के प्रमुख अडानी एंटरप्राइजेज के 20,000 करोड़ रुपये के फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर (एफपीओ) से कुछ दिन पहले आया है।
जवाब में, समूह का कहना है कि रिपोर्ट “दुर्भावनापूर्ण” और “आधारहीन” है और इसकी शेयर बिक्री को बर्बाद करने के दुर्भावनापूर्ण इरादे से किया गया था।

26 जनवरीः अडानी समूह ने कहा कि वह हिंडनबर्ग रिसर्च के खिलाफ कानूनी विकल्प तलाश रहा है। अल्पविक्रेता अपनी रिपोर्ट पर कायम रहता है और कहता है कि वह अदालती कार्यवाही में कंपनी से खुलासा करने के लिए कहेगा।

27 जनवरीः अडानी एंटरप्राइजेज का FPO सब्सक्रिप्शन के लिए खुला।

31 जनवरीः एफपीओ की सदस्यता लेने की अंतिम तिथि समाप्त हो जाती है। इस इश्यू को 1.12 गुना सब्सक्रिप्शन मिला है, जिसके लिए 16,000 करोड़ रुपये से अधिक की बोली लगाई गई है। इनमें से 60 प्रतिशत से अधिक बोलियां उच्च-नेटवर्थ वाले व्यक्तियों से आती हैं। (HNIs). एचएनआई के लिए आरक्षित कोटा 3.3 गुना सब्सक्राइब किया गया है।हालांकि, तीन दिवसीय एफपीओ में घरेलू वित्तीय संस्थानों और म्यूचुअल फंडों की ओर से एक भी बोली नहीं लगी है (MFs).

1 फरवरीः अडानी एंटरप्राइजेज ने 20,000 करोड़ रुपये के एफपीओ को रद्द कर दिया। एक विज्ञप्ति में, यह कहता है, “अभूतपूर्व स्थिति और वर्तमान बाजार की अस्थिरता को देखते हुए कंपनी का उद्देश्य एफपीओ आय को वापस करके और पूर्ण लेनदेन को वापस लेकर अपने निवेशक समुदाय के हितों की रक्षा करना है।”

निष्कर्ष:

अदानी-हिंडनबर्ग विवाद एक जटिल मामला है और इसके निहितार्थ भारत के आर्थिक और वित्तीय क्षेत्र से परे हैं. सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला एक सकारात्मक कदम है, लेकिन अभी यह देखना बाकी है कि SEBI इस मामले में कितनी जल्दी और निष्पक्ष रूप से जांच पूरी कर सकेगा.

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